Chanakya Niti: वर्तमान समय में चाणक्य नीति को कई युवाओं द्वारा पढ़ा और सुना जाता है। आचार्य चाणक्य द्वारा रचित इन नीतियों में सफलता के कई रहस्य छिपे हुए हैं और कुछ गुण भी बताए गए हैं जिन्हें अपनाने से व्यक्ति उन्नति के पथ पर निरंतर आगे बढ़ता रहता है। बता दें कि आचार्य चाणक्य की गणना विश्व के श्रेष्ठतम विद्वानों में की जाती है। उनके द्वारा दी गई शिक्षा आज भी कई लोगों का मार्गदर्शन कर रही है।
चाणक्य नीति में न केवल सफलता प्राप्त करने के गुण बताए गए हैं। बल्कि एक व्यक्ति को किस तरह से धन अर्जित करना चाहिए, इसके विषय में भी आचार्य चाणक्य ने विस्तार से बताया है। आइए चाणक्य नीति के इस भाग में जानते हैं कि किन आदतों से माता लक्ष्मी अत्यधिक क्रोधित हो जाती हैं।
व्यक्ति को इस तरह धन नहीं कमाना चाहिए
अन्यायोपार्जितं वित्तं दशवर्षाणि तिष्ठति ।
प्राप्ते चैकादशे वर्षे समूलं तद् विनश्यति ।।
अर्थात – लक्ष्मी यानि धन वैसे ही चंचल स्वाभाव की होती है। लेकिन उसपर भी व्यक्ति चोरी, जुआ, अन्याय या धोखा देकर धन कमाता है, तो उसका यह धन अधिक समय तक उसके पास नहीं रहता है। और ऐसा धन जल्दी नष्ट हो जाता है।
इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने बताया है कि धन एक जगह स्थिर नहीं रहती है। इसका आदान-प्रदान हर क्षण चलता रहता है। इसलिए इसका सम्मान करना व्यक्ति के लिए बहुत आवश्यक है। लेकिन जो व्यक्ति गलत कर्म करके के धन कमाता है, तो उसे जीवन में कभी सफलता प्राप्त नहीं होती है।
ऐसा इसलिए क्योंकि चोरी किया गया धन कभी भी चोर को सलाखों के पीछे पहुंचा सकता है। वहीं इसकी सम्भावना भी कई गुना अधिक होती है कि जुए में जीता हुआ धन व्यक्ति को कभी भी कंगाल बना सकती है।
इसके साथ अन्याय और धोखे से कमाए गए धन से व्यक्ति कभी भी संतुष्ट नहीं रहता है और अधिक की लालसा में उसके पापों का घड़ा भरता रहता है। इसलिए व्यक्ति को सत्य और सदमार्ग पर चलते हुए ही धन कमाना चाहिए। ऐसे ही व्यक्ति से माता लक्ष्मी सर्वाधिक प्रसन्न होती हैं।