हमारे देश में शुगर के इतने मरीज हैं कि दुनिया के हिसाब से हमारा देश मधुमेह रोगियों की राजधानी है। इसके साथ ही शहरों में रहनेवाली हमारी ज्यादातर आबादी को लिवर से संबंधित दिक्कतें होती रहती हैं। खाना-पान से लेकर दिनचर्या तक, इस समस्या के अलग-अलग कई फैक्टर्स हैं। लेकिन आज हम इस सब कारणों पर नहीं बल्कि इस बात पर फोकस करेंगे कि डायबीटीज के मरीज अच्छी और हेल्दी लाइफ जी सकें, इसके लिए उन्हें क्या करना चाहिए? साथ ही लीवर खान-पान से जुड़ी कौन-सी गलतियां लिवर को खराब करती हैं, यह जानेंगे…
डायबिटीज होती है कई बीमारियों का खतरा
डायबिटीज एक क्रॉनिक बीमारी है जिसके चलते शरीर में ब्लड शुगर लेवल काफी ज्यादा बढ़ने लगता है। डायबिटीज को जड़ से खत्म तो नहीं किया जा सकता लेकिन इसे कंट्रोल में रखा जा सकता है। डायबिटीज के कारण कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ने लगता है। शरीर में ब्लड शुगर लेवल बढ़ने से किडनी में मौजूद रक्त कोशिकाएं डैमेज हो जाती हैं जिससे किडनी सही तरीके से काम नहीं कर पाती। डायबिटीज किडनी की अपशिष्ट (शरीर का वेस्ट मटीरियरल) पदार्थों और अतिरिक्त तरल पदार्थों (फ्ल्यूड्स) को बाहर निकालने की क्षमता को प्रभावित करता है। अगर समय पर इसका इलाज ना किया जाए तो आपकी किडनी फेल भी हो सकती है।
डायबीटीज और लिवर की समस्या
- डायबीटीज के मरीजों में हाई शुगर की समस्या नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लीवर की परेशानी को बढ़ावा देती है। यह एक ऐसी स्थिति होती है, जब लिवर में अत्यधिक फैट जमा होने लगता है। फिर चाहे डायबीटीज का मरीज एल्कोहॉल का सेवन बहुत कम करता हो या बिल्कुल ना करता हो।
- डायबीटीज टाइप-1 हो या टाइप-2 हो यह समस्या शुगर के अधिकतर रोगियों में देखने को मिलती है। लेकिन अभी यह डेटा उपलब्ध नहीं है कि यह दिक्कत टाइप-1 वाले रोगियों में ज्यादा होती है या टाइप-2 के रोगियों में। क्योंकि मोटापा तो इन दोनों ही बीमारियों की एक मुख्य वजह होता है।
डायबीटीज शुरू करती है लिवर की समस्या
मानव शरीर में किडनी को काफी महत्वपूर्ण अंग माना जाता है। किडनी हमारे शरीर के सभी टॉक्सिन और अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने का काम करती है। लेकिन आजकल के समय में दुनियाभर में बहुत से लोगों को किडनी की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है जिसकी सबसे बड़ी वजह खराब खानपान और जीवनशैली भी है। भारत में किडनी की बीमारी के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। किडनी की बीमारी के कारण दिल से जुड़ी परेशानियों का खतरा भी बढ़ता है। समय पर इलाज ना मिलने पर किडनी की बीमारियां जानलेवा भी हो सकती हैं।
वहीं, अगर डायबिटीज के मरीजों की बात की जाए तो ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल ना करने पर किडनी संबंधित रोगों का खतरा 40 फीसदी तक बढ़ जाता है। ऐसे में अगर आप भी डायबिटीज के मरीज हैं और किडनी से जुड़ी बीमारियों से दूर रहना चाहते हैं आपको अपनी आदतों में कुछ बदलाव करना होगा। आइए जानते हैं किडनी की बीमारी से बचने के लिए डायबिटीज के मरीजों को किन बातों का खास ख्याल रखना होता है।
खानपान का रखें खास ध्यान
ब्लड शुगर हाई होने की वजह से किडनी को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए खानपान में एतिहात बरतना बेहद जरूरी है। डायबिटीज़ के मरीजों को खाने में ज्यादा चीनी के साथ-साथ ज्यादा कैलोरी वाली चीज़ों से भी दूर रहना चाहिए। डाइट में ताजा फलों, साबुत अनाज, सब्जियों को शामिल करने से शरीर को जरूरी मात्रा में पोषक-तत्व मिलते हैं और कैलोरी इनटेक भी कम होता है।
दवाइयों का नियमित रूप से सेवन करें
भले ही आपका ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित हो और अच्छी सेहत के लिए उपयुक्त स्तर पर हो, लेकिन आपके लिए नियमित तौर पर दवाइयों का सेवन करना अनिवार्य है। यदि एक भी दिन दवाई छुटी तो इसका प्रभाव आगे अलग ढंग से दिखने लगता है। किडनी जैसे शरीर के अन्य अंग प्रभावित हो सकते हैं।
धूम्रपान छोड़ें
सामान्य व्यक्ति भी यदि धूम्रपान करता है तो उसके फेफड़ों. किडनी आदि अंगों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में धूम्रपान करने से डायबिटीज के मरीजों की सेहत पर अधिक बुरा असर होता है और यह असर बहुत तेज रफ्तार से होने लगता है जिससे किडनी के खराब होने की संभावना बढ़ जाती है इसलिए धूम्रपान को छोड़ना बहुत आवश्यक है।
शुगर और ब्लड प्रेशर को रखें नियंत्रित
नियमित तौर पर ब्लड शुगर लेवल की जाँच करके तथा डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाइयों के सेवन, सही खान-पान और व्यायाम को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाकर ऐसा किया जा सकता है। इसी तरह डायबिटीज के मरीज ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित रख सकते हैं।
नियमित तौर पर व्यायाम करें
डायबिटीज के मरीज चाहते हैं कि उनकी किडनी स्वस्थ रहे तो उसके लिए उन्हें व्यायाम के रूप में थोड़ी मेहनत तो करना ही होगी। दौड़ना, तेज चलना, साइकिल चलाना, तैराकी, टहलना जैसे सरल व्यायाम डायबिटीज के मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। हर दिन कम से कम 30 मिनट के व्यायाम से शुगर लेवल तो नियंत्रित रहता ही है, साथ ही किडनी के खराब होने की संभावना भी कम हो जाती है।