Coronavirus in China: चीन में कोविड के दैनिक मामले अपने उच्च स्तर पर पहुंच गए हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य ब्यूरो के मुताबिक चीन में 24 घंटे में कुल 31,454 मामले दर्ज किए गए हैं। सात दिन पहले यानी 20 नवंबर को 26,824 मामले में सामने आए थे। बीजिंग में छह महीने में कोविड-19 से अब तक तीन नई मौतें हो चुकी हैं। चीन में सख्त जीरो कोविड पॉलिसी लागू है। देश लॉकडाउन, मास टेस्टिंग और यात्रा प्रतिबंधों के बीच संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए लगातार काम कर रहा है।
दुनिया लगभग कोरोना फ्री हो चुकी है। हालांकि चीन में कोरोना बम एक बार फिर से फट गया है। कोरोना को कंट्रोल करने के लिए जिनपिंग सरकार सख्त लॉकडाउन लगा रही है, लेकिन वायरस का विस्फोट इतना खौफनाक हो चुका है कि पुराने सभी रिकॉर्ड्स टूट गए हैं। दूसरी तरफ लॉकडाउन के खिलाफ भी खूनी विद्रोह बढ़ता जा रहा है। ड्रैगन लैंड के हालात दुनिया को डरा रहे हैं कि कही फिर कोरोना वापसी तो नहीं करने वाला है। और सवाल यह भी है कि आखिर क्यों चीन में कोरोना आउट ऑफ कंट्रोल हो गया है।
प्रशासन ने करी सख्ती से कोरोना से बचाव की अपील
मालूम हो कि चीन में महामारी को लेकर डायनेमिक कोविड जीरो नीति का पालन किया जाता है जिसके तहत कोरोना का एक भी मामला मिलने पर यहां सतर्कता के साथ सख्ती बरती जाती है। इसमें लॉकडाउन, नए दिशा-निर्देश और कोविड टेस्टिंग की संख्या में इजाफा होने जैसी चीजें शामिल हैं। इसी नीति के तहत चीन में स्थानीय सरकारों के द्वारा कुछ दिनों या हफ्तों के लिए लॉकडाउन की घोषणा की जा रही है।
भारत में भी हो सकती है खतरे की घंटी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 26 नवंबर को 39 हजार से अधिक लोगों को संक्रमित पाया गया, इनमें से लगभग 3700 लोग ही ऐसे हैं जिनमें लक्षणों के साथ इसकी पुष्टि की गई है। ज्यादातर लोग एसिम्टोमैटिक देखे जा रहे हैं। इस साल अप्रैल के बाद से पहली बार चीन में कोरोना के मामलों में इतना उछाल देखा जा रहा है।
चीन में एक बार फिर से कोरोना के कारण बिगड़ते हालात को देखते हुए दुनिया के अन्य देशों के लिए भी स्वास्थ्य विशषज्ञों ने अलर्ट जारी किया है। क्या भारत के लिए भी यह खतरे की घंटी हो सकती है?
ब्राजील में भी लगातार बढ़ रहे कोविड मामले
चीन के साथ-साथ ब्राजील में भी कोरोना (Corona In Brazil) तेजी से फैल रहा है। द ब्राजीलियन रिपोर्ट के मुताबिक, ब्राजील के 27 राज्यों में से 15 में कोविड के गंभीर मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। संघीय स्वास्थ्य नियामक अंविसा ने मंगलवार को हवाईअड्डों और विमानों में मास्क को अनिवार्य कर दिया है। इसी के साथ लोगों से जल्द से जल्द वैक्सीन लेने की अपील की गई है।

InfoGripe के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले छह हफ्तों में अलागोस, बाहिया, सिएरा, संघीय जिला, गोइआस, माटो ग्रोसो डो सुल, मिनस गेरैस, पारा, पाराइबा, पियाउई, रियो ग्रांड डो नॉर्ट, रियो डी जनेरियो और रोराइमा में कोविड केस तेजी से बढ़े हैं।
जापान में शनिवार को दर्ज हुए 1.25 लाख से ज्यादा केस
जापान में भी कोरोना का (Japan Coronavirus Cases) प्रकोप देखने को मिल रहा है। जापान टूडे की रिपोर्ट के मुताबिक, जापान में शनिवार को 1,25,327 नए कोरोना मामलों को रिपोर्ट किया गया। वहीं राजधानी टोक्यो ने 13,569 नए मामले दर्ज किए। टोक्यो में गंभीर लक्षणों के साथ अस्पताल में भर्ती संक्रमित लोगों की संख्या शुक्रवार से दो कम होकर 18 हो गई है। देश भर में रिपोर्ट किए गए कोरोना वायरस से संबंधित मौतों की संख्या 164 दर्ज की गई। एक हफ्ते पहले प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने कहा था कि “हम स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं और लोगों के जीवन और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सबकुछ कर रहे हैं।”
क्या कहते हैं स्वास्थ्य विशेषज्ञ?
कोरोना के कारण चीन में बिगड़ते हालात को देखते हुए आईएमएफ की पहली उप-प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ रिपोर्ट में कहा, जिस तरह से कोरोना के मामले चीन के लिए मुश्किलें बढ़ाते हुए दिख रहे हैं, ऐसे में सरकार को ‘जीरो कोविड स्ट्रेटजी’ को लेकर फिर से विचार करने की आवश्यकता है। कोरोना का बढ़ता जोखिम न सिर्फ स्वास्थ्य संबंधी खतरों को बढ़ा रहा है, साथ ही इससे अर्थव्यवस्था पर भी असर हो सकता है।
चीन में कोरोना के बढ़ते खतरे को ध्यान में रखते हुए अन्य देशों को बचाव के उपाय तेज कर देने चाहिए। महामारी अब भी जारी है, इसे हल्के में लेने की गलती सभी के लिए भारी पड़ सकती है।
क्या भारत के लिए भी फिर हो सकता है खतरा
चीन में कोरोना संक्रमण के बढ़ते जोखिमों को देखते हुए सवाल उठता है कि क्या भारत में भी स्थिति फिर से बिगड़ सकती है? फिलहाल देश में कोरोना की स्थिति काफी नियंत्रित नजर आ रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार शनिवार को भारत में एक बार फिर से 300 से अधिक लोगों को कोरोना से संक्रमित पाया गया। शनिवार को 343 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई।
पिछले 24 घंटे में देश में चार लोगों की संक्रमण से मौत हुई है। हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यहां लोगों को विशेष सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है, कुछ कारणों से भारत के लिए भी खतरे बढ़ सकते हैं।
भारत के लिए खतरे की घंटी?
महामारी की शुरुआता से कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे इंटेसिव केयर के डॉक्टर विभु श्रीवत्स कहते हैं, कोरोना के बारे में कुछ भी पूर्वानुमान लगा पाना मुश्किल है, फिलहाल जिस तरह से चीन सहित कई अन्य देशों में संक्रमितों के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है, उससे भारत के लिए भी खतरा हो सकता है। हालांकि, अच्छी बात यह है कि यहां टीकाकरण की दर काफी अच्छी है, ऐसे में यहां गंभीर मामलों का खतरा कम हो सकता है। हालांकि नए वैरिएंट्स के बढ़ते जोखिमों को देखते हुए सभी लोगों को बचाव के निरंतर उपाय करते रहने की आवश्यकता है। महामारी अब भी बड़ी चिंता का कारण बनी हुई है।
लॉकडाउन के बीच आईफोन फैक्ट्री में प्रदर्शन
चीन में बनी आईफोन की दुनिया की सबसे बड़ी फैक्ट्री में पिछले दिनों कर्मचारियों ने जमकर प्रदर्शन किया। सोशल मीडिया पर बुधवार को कई वीडियो पोस्ट किए गए, जिसमें हजारों प्रदर्शनकारी सेफ्टी सूट पहने पुलिसकर्मियों का सामना करते नजर आ रहे हैं। इस दौरान देखा गया कि एक व्यक्ति के सिर पर पुलिस ने डंडा मारा. वहीं एक अन्य को उसके हाथ बांधकर ले जाया गया. सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट में कहा गया कि ये लोग संविदा नियमों के उल्लंघन का विरोध कर रहे थे।
कंपनी ‘फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी ग्रुप’ के संचालक ने कहा कि कर्मचारी अपने वर्कप्लेस में रह रहे थे। वे बाहर की दुनिया के संपर्क में नहीं थे। पिछले महीने हजारों कर्मचारी कोरोना वायरस के खिलाफ सुरक्षा के अपर्याप्त उपायों और बीमार पड़ने वाले सहकर्मियों को कोई मदद नहीं मिलने की शिकायतों के कारण कारखाना छोड़कर चले गए थे।
कोविड से बच्चों में स्ट्रोक का खतरा
कोरोना से संक्रमित होने के बाद बच्चों में ‘स्ट्रोक’ का खतरा बढ़ सकता है। अमेरिका में की गई स्टडी की रिपोर्ट इस हफ्ते ‘पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजी’ पत्रिका में प्रकाशित हुई है। स्टडी में अस्पताल में भर्ती 16 रोगियों के चिकित्सा चार्ट और निदान प्रक्रिया की समीक्षा की गई, जिन्हें मार्च 2020 से जून 2021 के बीच रक्त का प्रवाह कम होने से दौरा पड़ा। इनमें से अधिकतर मामले बच्चों में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले तेजी से सामने आने के कुछ ही दिन बाद फरवरी और मई 2021 के बीच आये थे। इनमें से करीब आधे नमूनों में जांच में संक्रमण का पता चला।
यूनिवर्सिटी ऑफ उताह हेल्थ में विशेषज्ञ और प्रमुख अध्ययनकर्ता मैरीग्लेन जे वीलेयुक्स ने कहा कि 16 में से एक भी नमूने में गंभीर संक्रमण का पता नहीं चला और कुछ रोगियों में तो लक्षण भी नजर नहीं आये। उन्होंने कहा कि पांच रोगियों को अतीत में कोविड संक्रमण नहीं होने की पुष्टि हुई। उन्होंने कहा, यह अति-प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया हो सकती है, जो बाद में होती है और बच्चों में थक्का बनने का कारण बनती है।